tag:blogger.com,1999:blog-661367040317442003.post1648116594568137683..comments2023-12-12T00:22:38.914-08:00Comments on शांता : श्री राम की बहन : भगवती शांता परम : सर्ग-1 अथरविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-661367040317442003.post-55514616774664918402011-12-20T03:46:44.943-08:002011-12-20T03:46:44.943-08:00..Doha aur chaupayee ka sundar pryaog..
...bahut h.....Doha aur chaupayee ka sundar pryaog..<br />...bahut hi sundar manohari chitramayee prastuti ke liye aabhar!कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-661367040317442003.post-20216039403240376702011-12-04T08:22:40.113-08:002011-12-04T08:22:40.113-08:00महाकवि रविकर जी,
आपके छंद-कौशल से हमेशा मुग्ध रहा ...महाकवि रविकर जी,<br />आपके छंद-कौशल से हमेशा मुग्ध रहा हूँ...<br />केवल कथ्य से मत-भिन्नता के कारण ही टिप्पणी से सकुचाता रहा...<br />मेरा कुछ विषयों पर मत अलग है...<br />— मूर्ती-पूजा को मैं बहुत बाद की शुरुआत मानता हूँ.<br />— गिद्ध, भालू, वानर आदि के प्रसंगों को कपोल-कल्पित कथाएँ मानता हूँ.<br />— इतना सत्य हो सकता है कि शांता राम की सहोदरा हो... <br />किन्तु यह चिंतन और विश्लेषण करने योग्य बात है कि शृंगी ऋषि ने दशरथ की तीनों रानियों को फ़ल/ खीर (कृत्रिम गर्भादान) पद्धति से संतान प्राप्ति करवाई. [उन्नत मेडिकल साइंस का नमूना] ... इसका विस्तार आगे कभी...<br />— बिहार में गिद्धौर जगह है... जहाँ की गिद्ध जाति जो दूरबीनों का व्यवसाय किया करती थी.. श्रीराम के समय में उनकी साइंस इतनी उन्नत थी कि उनका कार्य अन्तरिक्ष में यान प्रक्षेपण करना था और दूसरे ग्रहों से संपर्क साधना उनका कौशल था... <br />— हनुमान हरिवर्ष [ब्रिटेन] के वासी थे और वे वानर (वैकल्पिक नर) जाति के थे सुग्रीव और बाली भाइयों में विच्छेद हो जाने के बाद वे ऋषिमुक पर्वत (यूराल पर्वत) के वासी सुग्रीव की सेवा में थे... योरोप उस समय हरिप्रदेश के रूप में ख्यात था.. और साइबेरिया प्रदेश शबरी प्रदेश के रूप में ख्यात था. इस तरह के न जाने कितने ही प्रकरण एक सूत्र में बंधकर भौगोलिक और वैज्ञानिक दृष्टि से इस कथा को नया रूप देने को उतावले हैं... मैं श्रीराम की कथा को भारतमात्र की कथा नहीं मानता अपितु सम्पूर्ण विश्व पटल पर घटित घटना मानता हूँ. अतः आपसे मत भिन्नता होते हुए भी मेरा आपसे प्रेम इतना है कि वह श्रद्धावश आपके छंद-गुणों को स्वयं में उतार लेना चाहता है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-661367040317442003.post-4351278840504849112011-12-04T06:26:30.757-08:002011-12-04T06:26:30.757-08:00प्रिय और आदरणीय रविकर जी ..बहुत ही सुन्दर सर्ग ......प्रिय और आदरणीय रविकर जी ..बहुत ही सुन्दर सर्ग ....अद्भुत और ज्ञान वर्धक जानकारी ...हम सब के ज्ञान वर्धन हेतु आप का ये परिश्रम सदा सदा के लिए अमर बने ..ढेर सारी शुभ कामनाएं ..जय श्री राम <br />भ्रमर 5SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5https://www.blogger.com/profile/11163697127232399998noreply@blogger.com