बाद मरने के मेरे
मर-मर के जी रहे हैं सालों से मित्र हम तो-वो मौत क्या अलहदा कुछ और कष्ट देगी ||
जब आग में जलेगा, नब्बे किलो का लोथा-
पानी-पवन गगन यह धरती भी अंश लेगी ||
मोबाइल हुआ जो स्थिर, तेरह दिनों तक देखा --
तो फोन का वो गाना फिर ना सुनाई देंगा |
जो काल ना करेगी, वो काल वो करेगा --
बस ब्लॉग जो ये छूटे, सच की रुलाई देगा |
नम्बर मिटेगा खुद से, पहले मिटें तो यादें,
वो मौत फिर न मौका, करने विदाई देगा ||
नरक बनाने में जुटे, सारे आमो-ख़ास |
नोच-नोच के खा रहे, खोकर होश-हवाश |
खोकर होश-हवाश, हवश के भूखे बन्दे |
ढोते खुद की लाश, रहे गन्दे के गन्दे |
लाएगा के स्वर्ग, स्वर्ग के जानो माने |
सन्तति का आधार, लगे क्यूँ नरक बनाने ||
मैं छह महीने पुराना हो गया...
आधा सच कह-कह किया, आधा साल अतीत |
पूरा कहने से बचा, समझे आधा मीत |
आधा समझे मीत, समझदारी है जिनमें |
"समझदार की मौत", हुई न इतने दिन में |
बहुत ही खुशनसीब, तीर जिनपर भी साधा |
क्रांति स्वर.....
बंदरों ने छीनकर, जीवन चलाया |
हाथों को काम में कैसा फंसाया ?
आँख, मुंह, कान का चक्कर अजीब --
मर न जाएँ भूख से बन्दर गरीब ||
बंदरों ने छीनकर, जीवन चलाया |
हाथों को काम में कैसा फंसाया ?
आँख, मुंह, कान का चक्कर अजीब --
मर न जाएँ भूख से बन्दर गरीब ||
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