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Monday, 3 October 2011

मेरी टिप्पणियां और लिंक -3

बाद मरने के मेरे

मर-मर के जी रहे हैं सालों से मित्र हम तो-
वो मौत क्या अलहदा कुछ और कष्ट देगी ||
जब आग में जलेगा, नब्बे किलो का लोथा-
पानी-पवन गगन यह धरती भी अंश लेगी ||
मोबाइल हुआ जो स्थिर, तेरह दिनों तक देखा --
तो फोन का वो गाना फिर ना सुनाई देंगा |
जो काल ना करेगी, वो काल वो करेगा --
बस ब्लॉग जो ये छूटे, सच की रुलाई देगा |
नम्बर मिटेगा खुद से, पहले मिटें तो यादें,
वो मौत फिर न मौका, करने विदाई देगा ||

नरक  बनाने  में  जुटे,  सारे  आमो-ख़ास |
नोच-नोच के खा रहे, खोकर होश-हवाश |
खोकर होश-हवाश, हवश के  भूखे बन्दे |
ढोते खुद की लाश, रहे  गन्दे  के  गन्दे |
लाएगा के स्वर्ग, स्वर्ग के जानो माने |
सन्तति का आधार, लगे क्यूँ नरक बनाने ||

 

 

मैं छह महीने पुराना हो गया...




  • महेंद्र  श्रीवास्तव 






  • आधा सच कह-कह किया, आधा साल अतीत |
    पूरा कहने से बचा, समझे आधा मीत |

    आधा समझे मीत, समझदारी है जिनमें |
    "समझदार की मौत", हुई न इतने दिन में |

    बहुत ही खुशनसीब, तीर जिनपर भी साधा |
    "जो मारे सो मीर", कहा फिर से सच आधा || 

      विजय माथुर  
    क्रांति स्वर..... 
    बंदरों ने छीनकर, जीवन चलाया |
    हाथों को काम में कैसा फंसाया ?
    आँख, मुंह, कान  का चक्कर अजीब --
    मर न जाएँ भूख से बन्दर गरीब ||

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