आज अपने गिरेबान में झांक कर देखें- अज़ीज़ बर्नी
खरी-खरी बातें कहीं, जज्बे को आदाब |स्वार्थी तत्वों को सदा, देते रहो जवाब ||
बड़ी कठिन यह राह है, संभल के चलिए राह |
अपने ही दुश्मन बने, पचती नहीं सलाह ||
भले नागरिक वतन को, करते हैं खुशहाल |
बुरे हमेशा चाहते, दंगे क़त्ल बवाल ||
जीवनसंगिनी..........
खूबसूरत ||हो तुम ||
मेरी नजरों ने कहा |
जरूरत हो तुम-
जिगर के टुकड़ों ने कहा |
सम्पूरक हो तुम ||
अधरों ने कहा ||
बेहतर हो तुम |
मंदिर की मूरत ने कहा ||
कविताओं की तारीफ जितनी की जाए कम है.
ReplyDeleteलिंक के अंदर लिंक...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिंक दिए हैं....
सादर...