मैंने कहा पति हूँ मै,,कोई चपरासी नहीं,
पर मेरी टिप्पणी ||
सूखा नशा देह दशा, सारी तो बिगाड़ लई
भूखे पेट ले ढकोर, सुध विसराता है |
दारू में सत्तर खर्च, सैकिल को बेंच-बांच
अस्सी रूपया हाथ मा, सुक्खल धराता है |
बच्चे को मंदिर भेज, बुढ़िया को विद्यालय
सब्जी के बदले घर, दारु भिजवाता है |
खर्राटे भर-भर के, रतिया गुजार देत
हम तोहार पति हां, झूरे गुरराता है ||
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