ड्राइवर को दोषी बता, बचा रहे थे जान,
जान नहीं पाए उधर, जिन्दा है इंसान |
जिन्दा है इंसान, थोपते जिम्मेदारी,
आलोचक की देख, बड़ी भारी मक्कारी |
कह रविकर समझाय, निकाले मीन-मेख सब-
मुंह मोड़े चुपचाप, मिले उनको जिम्मा जब ||
बिल्कुल सही कहा है आपने।
ReplyDeleteVery well said
ReplyDeletePM to bata doshi kholi hai usne pole sabki
बेहद सटीक शब्द भेदी बाण सत्ता के कानों पर जूँ रेंगे न रे .
ReplyDeletehttp://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारें ,टिपियाएँ और कृतार्थ करें .रेल अधिकारी फिर बांचा संवेदन हीनता का एक नया स्तर हाथ आया शासन की उनकी जिनकी चलती है .