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Tuesday 28 June 2011

रचना नहीं त्रासदी है

बरसात  आई 
कवि-हृदय 
लब-लबाया--
शब्द-सरिता
बह चली 
जाने-अनजाने रास्ते  ||

टपकती बूंदें 
बहता पानी 
भीगते लोग 
इन्द्र धनुष 
बिजली की चमक
बाढ़  की धमक
बादल की गरज 
मजे के वास्ते || 

पर है क्या बला 
बादल फटना ??
जरा हटना --
पूछता हूँ  रविकर से 
लिखे तो पक्तियां चार--
पर वो  तो-- 
बह गया यार ||
*        *         *        *        *
तूतुम -  तूतुम  वो हुआ,  तगड़ा तोता - चश्म |
गुड़   लेने   गुरूजी   गए,  पोती   सारी   भस्म |

पोती   सारी   भस्म,    पुजाता    लम्बी   पूजा |
खरबूजे   को   देख,   बदलता   रंग   खरबूजा |

कर रविकर अफ़सोस, बाप क्यूँ बैठा गुमसुम |
बना न अफसर किन्तु,  कमाता तूतुम तूतुम || 
           
तूतुम = जल्दी

1 comment:

  1. fun filled poem
    पूछता हूँ रविकर से
    लिखे तो पक्तियां चार--

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