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Friday 22 July 2011

रेल - अधिकारी

 ड्राइवर  को  दोषी  बता,  बचा  रहे थे  जान,
जान  नहीं  पाए  उधर, जिन्दा   है   इंसान |

जिन्दा    है    इंसान,   थोपते   जिम्मेदारी,
आलोचक  की  देख,   बड़ी   भारी  मक्कारी |

कह रविकर समझाय, निकाले मीन-मेख सब-
मुंह  मोड़े  चुपचाप,  मिले  उनको  जिम्मा जब ||

4 comments:

  1. बिल्कुल सही कहा है आपने।

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  2. Very well said
    PM to bata doshi kholi hai usne pole sabki

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  3. बेहद सटीक शब्द भेदी बाण सत्ता के कानों पर जूँ रेंगे न रे .

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  4. http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
    कृपया यहाँ भी पधारें ,टिपियाएँ और कृतार्थ करें .रेल अधिकारी फिर बांचा संवेदन हीनता का एक नया स्तर हाथ आया शासन की उनकी जिनकी चलती है .

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