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Friday, 15 July 2011

हम तोहार पति हां, झूरे गुरराता है ||

मैंने कहा पति हूँ मै,,कोई चपरासी नहीं,
पर मेरी टिप्पणी ||

सूखा नशा देह दशा, सारी तो बिगाड़ लई
भूखे पेट ले ढकोर,  सुध विसराता है |
दारू में सत्तर खर्च, सैकिल को बेंच-बांच
अस्सी रूपया हाथ मा, सुक्खल धराता है |
बच्चे को मंदिर भेज, बुढ़िया को विद्यालय
सब्जी के बदले घर, दारु भिजवाता है |
खर्राटे भर-भर के,  रतिया  गुजार  देत
हम तोहार पति  हां,   झूरे  गुरराता  है  ||

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