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Sunday 25 September 2011

मेरी टिप्पणियां और लिंक ||

चर्चा -मंच 

श्रम - सीकर अनमोल है,  चुका सकें न मोल |
नत - मस्तक गुरुदेव है,  सारा यह भू-गोल ||


मन और झील कभी नहीं भरती

मन-का  मनमथ-मनचला, मनका पावै ढेर |
मनसायन वो झील ही,  करती रती  कुबेर |

करती रती  कुबेर,  झील  लब-लबा  उठी  है |
हुई  नहीं  अंधेर,  नायिका  सुगढ़  सुठी  है |

दीपक  की बकवाद, सुना  तो  माथा  ठनका |
कीचड़ सा उपमान,  रोप कर  तोडा  मनका ||

कभी-कभी....



ध्वनन,
ध्वन और ध्वन्य से 
प्रभावी अव्यक्ति |
ध्वंसक के लिए असहनीय
मौनित्व की शक्ति ||

ध्वनन=अव्यक्त शब्द
ध्वन= शब्द
ध्वन्य=व्यंगार्थ 


कालू गरीब हाजिर हो- 

अष्टावक्र


थर्ड-क्लास को ट्रेन से, हटा चुके थे लोग |
फोर्थ क्लास भुखमरी का, मिटा श्रेष्ठ संजोग ||


अब लास्ट क्लास थर्ड क्लास ||
भुखमरी ही आज के सरकार की गरीबी है |

जय सम्मोहन जय मनमोहन
जय नग्नोहन जय रक्त्दोहन ||

Wednesday 21 September 2011

मेरी टिप्पणियां और लिंक ||

पत्नी पीड़ित की व्यथा

दर्द से जब छटपटा कर,  आह  भरती है जुबाँ |
लगता है रविकर वाह सुनती हैं हमारी मेहरबाँ ||

चर्चित बाबा के चक्कर में..

चर्चित बाबा,
चंचल बाला |
शैतानों की
लगती खाला ||


प्रेम नजरजो
उसने डाला --


खतरे में है
कंठी माला ||


परचित बाबा
खोलो  ताला |


नया ज़माना
खुद को ढाला |


आन्नद ही आन्नद :- योजना आयोग ने करोडो भारतीयों को तत्काल अमीर बना दिया.



जंगल में चलकर रहो, सूखी  टहनी  बीन |
चावल दो मुट्ठी भरो, कर लो झट नमकीन |

कर लो झट नमकीन, माड़ से भरो कटोरा |
माड़ - भात परसाय, खिलाऊ  छोरी-छोरा |

डब्लू एच ओ जाय, बता दो सब कुछ मंगल |
चार साल के बाद, यही तो होइहैं नक्सल ||


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बत्तीसी दिखलाय के, पच्चीस कमवाय के

आयोग आगे आय के, खूब हलफाते हैं |

दवा दारु नेचर से, कपडे  फटीचर  से

मुफ्तखोर टीचर से,  बच्चा पढवाते  हैं |

सेहत शिक्षा मिलगै , कपडा लत्ता सिलगै

तनिक छत हिलगै,  काहे घबराते हैं ?


गरीबी हटाओ बोल, इंदिरा भी गईं डोल,

सरकारी झोल-झाल, गरीब मिटाते हैं ||

Monday 19 September 2011

मेरी टिप्पणियां -- इस सप्ताह -4

"मुक़द्दस टोपी"





(१)
मोदी  टोपी  पहनते, क्या खो  जाता तोर ??
सेक्युलर का काला हृदय, खिट-पिट करता और |


खिट-पिट करता और, उतरती  उनकी टोपी |
वोट  बैंक  की  नीत,   बघेला   बेहद   कोपी |


कटते हिन्दू वोट, देख कर हरकत भोंदी |

घंटा  बढ़ते  और, समर्थक  मुस्लिम  मोदी ||
(२)
कट्टर हिन्दू-मुसल्मा, हैं औरन से नीक |
इंसानियत उसूल है, नहीं छोड़ते लीक |
नहीं छोड़ते लीक, नहीं थाली के बैगन |
लुढ़क गए उस ओर, जिधर जो जमते जन-गन |
मोदी तुझे सलाम, कहीं न तेरा टक्कर |
 मूरत अस्वीकार, करे मुस्लिम भी कट्टर ||
(3)
पहन मुक़द्दस टोपियाँ, बड़ी-बड़ी सरकार |
लालू शरद मुलायमी, काँग्रेस - आधार |

काँग्रेस - आधार , पहन कर टोपी सुन्दर |
बेडा अपना पार, करें ये मस्त कलन्दर |

पर मौलाना सोच, बड़े ये भारी सरकस |
कितना की उपकार, टोपियाँ पहन मुक़द्दस ||

'मेरी गुड़िया' -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
पढना लिखना तनिक न आये |
गुड़िया  तो  बुढ़िया  हो  जाए ||
जायेगी ससुराल सास को --
पढना लिखना कौन सिखाये ??
सीख फटाफट ए बी सी डी-
गिनती-टेबुल  जोड़  घटाए--
नीति नियम गुरुजन का आदर-
ज्ञान पाय विज्ञान पढाये ||
कम्पूटर इंटरनेट ब्लोगिंग-
दुनिया को सद-राह दिखाए ||
भोली गुड़िया प्यारी गुड़िया
प्यारी बन सबको हरसाए ||

 

न जाओ सैंया,छुड़ा के बैंया !

दीपक  बाबा  हैं  सखे, काहे  चिंता  खाय |
लोग  टिप्पणी  छानते, करकट रहे बराय |

करकट  रहे  बराय, उन्हीं  की  मर्जी  बाबू,
मनमाफिक तो ठीक, नहीं तो करते काबू |

तब भी दिल की चोट, करे बेमतलब बक-बक |
अन्तर कर उजियार, जलाते रहिये दीपक ||

Saturday 17 September 2011

मेरी टिप्पणियां -- इस सप्ताह ||

काश यूँ होता....
बाला बड़ी बहादुर है, बस बही भावना में थोड़ी |
बालक बरताव बनाए रख, बाला है सोणी-सोणी |

दुनिया बेशक अच्छी है, बस बदल नजरिया उसका तू-
कुछ सामंजस स्थापित कर, बदले वो थोड़ी -मोड़ी ||



जीवन भी संघर्ष एक, तू राह उसे दिखलाता जा --
सुगम रास्ता पाएगी, पर मिलेंगे कुछ रोड़ा -रोड़ी ||

दूजे का व्यवहार क्रूर, उसकी चिंता से होगा क्या --
बस दूर रहे, खुशहाल रहे, क्यूँ  करती सर फोड़ा-फोड़ी ||


बहाना है उपवास, मंजिल पीएम निवास

उपवास का सुवास हो, और अधिक पास हो,
आस भरा विश्वास हो, दंगा वह भूलिए |

भागलपुर भागते, देहली दहलात के ??
घात पे प्रतिघात के, पाप पूरे धो लिए ??

अंगुलिमाल-वाल्मीकि, भूलो मत यह सीख
गांधीजी की क्षमा नीति, घोलकर पी लिये |

प्रयास का उपहास, कांगरेस है निराश
गिरेबान देख झांक, चौरासी भी खोलिए ||

 काका हाथरसी 

काकी पर चलते रहे, काका की शमशीर |
बेलन से पिटते रहे,  खाई फिर  भी खीर |

खाई फिर भी खीर, तीर काकी के आकर|
बने कलम के वीर, धरा पूरी महका  कर | 

पर  रविकर इक बात, रही बाँकी  की बाकी |

मिली कहाँ से तात, आपको ऐसी काकी ||

 

मत दो जीवन का वरदान....

यह मत दो तुम, वो भी मत दो |
आखिर क्या  मांगे दीवाने ?
मेरा प्यार नहीं क्यूँ मांगे--
चाहे - बस - दर्दीले - गाने ||

तनिक शरारत थोडा नखरा
थोड़ी मस्ती बुरा मानता -
आखिर प्यार किसे कहते हैं--
प्यार के आखिर क्या हैं माने ||

(चर्चा मंच-641)

करें  संकलन  प्रेम से, देते  मंच  सजाय |
उत्तम  चर्चा  आपकी, शारद सदा सहाय ||
शारद सदा सहाय, प्रकृति प्रेमी ये गुरुवर,
माला पुष्प बनाय, लगाके  रक्खे तरुवर ||
प्रभु जी करिए कृपा, बनाए रखिये साया,
स्वस्थ और सानंद, रहे गुरुवर की काया |

जन्म-दिन मुबारक 

सन्नी-सन सन सा संवर, सन-सन सुखद सुनील |
सरवन सम सुत समुन्नति, सामृद्धि-सम्मति-शील ||

सामृद्धि-सम्मति-शील, बधाई जन्म दिवस की |
पल पल आगे बढ़ो, फेस पर हरदम मुस्की ||

दे रविकर आशीष, मिले संस्कारी बन्नी ||
मात-पिता को हर्ष, ख़ुशी खुब पावे सन्नी ||

Friday 16 September 2011

मेरी टिप्पणियां -- इस सप्ताह ||

ख़ुशी का मन्त्र है यारो, 
नहीं रोना न शर्मिंदा |
बुरी बातों को भूलो जी, 
रहो बिंदास फिर जिन्दा |


बढे पेट्रोल सब्जी दुग्ध, 
राशन बम इलेक्ट्रिक बिल-
पुरानी दुश्मनी भूलो, 
रखो न याद आइन्दा 

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जीवन में जो कुछ घटा, उचित अवधि के बाद,
गलत-सही  का आकलन, कर  पाए  उस्ताद |

कर   पाए   उस्ताद,  बाप  गलती  पर   डांटे,
तीस वर्ष का  कर्म,  आज  खुद  खाय  गुलाटे |

मारा  नाथू-राम,  नहीं  तो  करते  अनशन ,
बना दिया   ना-पाक,  कोसते अपना  जीवन ||

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जिसकी लाठी भैंस उसी की, बड़ी कहावत |
यह अपनी सरकार, नए हद स्वयं बनावत ||

किसे पता कब जाय, सौंप देंगे वो हिस्सा |
याद नहीं क्या मित्र, बांग्ला-ताजा किस्सा ||

बना रहे सम्मान देश का,  सही करो अब नीत |
चीन-पाक अमरीका तक, भय बिन करिहैं प्रीत ||

Tuesday 13 September 2011

मेरी टिप्पणियां -- इस सप्ताह ||

खनन उपक्रम का, बेबस राजधर्म का
लूट-तंत्र बेशर्म का, सुवाद अंगूरी है |
राजपाट पाय-जात, धरती का खोद-खाद
लूट-लूट खूब खात, यही तो जरुरी है |
कहीं कांगरेस राज, भाजप का वही काज
छोट न आवत  बाज, भेड़-चाल पूरी है |
चट्टे-बट्टे थैली केर, सारे साले एक मेर,
देर है न है अंधेर,  आम मजबूरी है || 

 

देख सकने की,
जरा बकने की,
हंसीं सपने की,
तन्हा तपने की,
आदत है |
बुरी लत है ||


जब तक दुनिया है सखे, तब तक पत्थर राज |
पत्थर  से  टकराय  के,  लौटे   हर  आवाज  ||
लौटे   हर  आवाज,  लिखाये  किस्मत  लोढ़े,
कर्मों पर विश्वास, करे  क्या  किन्तु  निगोड़े ?
कोई  नहीं  हबीब,  मिला जो उसको अबतक,
जिए  पत्थरों  बीच, रहेगा जीवन जब तक ||

बड़ा प्रफुल्लित हो रहा, मिला शरद सा बाप |
मौज  करे  वो  ठाठ  से,  न  कोई  संताप ||
न   कोई    संताप ,  उडाये   आसमान  में,
मन  के  घोड़े  ख़ास, रहता  ख़ूब  गुमान  में ||
अब क्रिकेट का राज,  जभी रैना को पकड़ा,
सौंपेगा  साम्राज्य,  जोड़-जोड़  करता बड़ा ||

हिंदी की जय बोल |
मन की गांठे खोल ||

विश्व-हाट में शीघ्र-
बाजे बम-बम ढोल |

सरस-सरलतम-मधुरिम
जैसे चाहे तोल |

जो भी सीखे हिंदी-
घूमे वो भू-गोल |

उन्नति गर चाहे बन्दा-
ले जाये बिन मोल ||

हिंदी की जय बोल |
हिंदी की जय बोल |

सच्चाई की बात अजीब,
धूप - चांदनी पर खीज  |
तक़दीर फांके धूल-
उनको फूल सी चीज ||


भ्रूण में मारी हीर
है बड़ा बदतमीज |
खुशियाँ दी बेच
आँखे रही भीज ||


समझ की लाली
जिलाए रक्तबीज |
सहकर जुल्म हुआ
मुजरिम नाचीज || 

करता घंटा काम


घोडा  चाबै  घास-तृण, अजगर  लीलै जीव,
ढाई  घर  ये  नापता,  वो   लागै   निर्जीव |



वो  लागै निर्जीव, सरिस सरकारी अफसर,
करता घंटा काम, खाय पर सबकुछ भरकर |


कर उद्यम-सुविचार, जिओ चाहे कुछ थोडा, 
 अजगर सा पर नहीं, जिओ रे बनकर घोडा||


Vespucci Quarter Horse Fancy Raised Bridle



 Indian Python Snake: Indian Python Snake: Indian Python Snake: Indian ... 
कुंडली की पूंछ --
अजगर जीता सौ बरस, घोडा बाइस-बीस |
घोडा हरदम बीस है,  अजगर है उन्नीस ||

Thursday 8 September 2011

चर्चा-मंच की प्रस्तावना

  बड़ी अदालत  था  गया, खुदा का बंदा एक,  
 कातिल को फांसी मिले,  मारा   बेटा  नेक |  

मारा  बेटा  नेक, हुआ  आतंकी  हमला ,
कातिल मरणासन्न, भूलते अब्बू बदला |

जज्बा तुझे सलाम, जतन से शत्रु  संभालत,
                        मानो  करते  माफ़, खुदा की बड़ी अदालत |               
                                        
(जनता आतंकी हमलों की आदी हो चुकी है)
 -सुबोधकांत सहाय
संसद की अवमानना, मचती खुब चिल्ल-पों, 
 जनता  की  अवमानना, करते  रहते  क्यों ?

करते  रहते  क्यो, हमेशा  मंत्रि-कबीना |
 जीने का अधिकार, आम-जनता से छीना ?

सत्ता-मद  में  चूर,  बढ़ी  बेशरमी  बेहद,
आतंकी फिर कहीं,  उड़ा  न  जाएँ  संसद |

Tuesday 6 September 2011

हाथ छुड़ा के -- फिर घर चलना |


माँ का ललना |
झूले पलना ||

समय समय पर  
दूध पिलाती |
जीवन खातिर-
हाड़ गलाती |
दीप शिखा सी 
हर-पल जलना ||
माँ का ललना |
झूले पलना ||


आयु  बढती--
ताकत घटती |
पति-पुत्र में -
बंटती-मिटती |
आज बिकल है -
कल भी कल-ना ||
माँ का ललना |
झूले पलना ||


आया रिश्ता- 
बेटा बिकता |
धीरे-धीरे--
माँ से उकता |
होती परबस-
डरना-मरना ||
माँ का ललना |
झूले पलना ||


हो एकाकी ,
साँसे बाकी |
पोते-पोती 
बनती जोती |
हाथ छुड़ा के  --
फिर घर चलना ||
माँ का ललना |
झूले पलना ||

Monday 5 September 2011

पहली कक्षा की शिक्षिका--

माँ के श्रम सा श्रम वो करती |
अवगुण मेट गुणों को भरती |
टीचर का  एहसान बहुत है --
उनसे यह जिंदगी संवरती || 


माँ का  बच्चा हरदम अच्छा,
झूठा बच्चा फिर भी सच्चा |
ठोक-पीट कर या समझाकर-
बना दे टीचर सच्चा-बच्चा ||


लगा  बाँधने  अपना कच्छा
कक्षा  दो  में  पहुंचा  बच्चा |
शैतानी  में   पारन्गत  हो
टीचर को दे जाता गच्चा ||