तन्मात्रा हो हे सखी, शब्द, रूप, रस, गन्ध |
सस्पर्श पञ्च-भूतियाँ, सांख्य-मत से बन्ध ||
कार्य में अपने हे सखी, रहो सदा लवलीन |
तन्नी नित खुरचा करे, मन-पट हुई मलीन ||
हरिगीतिका छंद
भारतीय नारी
बड़े-बुजुर्गों से मिले, व्यवहारिक सन्देश |
पालन मन से जो करे, पावे मान विशेष ||
कार्य में अपने हे सखी, रहो सदा लवलीन |
तन्नी नित खुरचा करे, मन-पट हुई मलीन ||
हरिगीतिका छंद
भारतीय नारी
बड़े-बुजुर्गों से मिले, व्यवहारिक सन्देश |
पालन मन से जो करे, पावे मान विशेष ||