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Monday, 27 June 2011

आत्म-चिंतन एवं उच्चारण पर टिप्पणी

किसको-किसको खुश करें, सारा जहाँ अजीब,
होते  वे  नाराज  जब,   "रब"  को  करूँ  करीब |
"रब"  को  करूँ  करीब,  बता  दो हमको रस्ता ,
दो   पाटन   के   बीच,  हो रही  हालत  खस्ता |
है रविकर यह  कठिन,  ख़ुशी दे पाना सबको'
हो  जाता  हूँ  फेल,  रखूं  खुश  कैसे  किसको || 

वेतन  भोगी  को  सदा,  प्यारी बड़ी  पगार |
कुछ रुपये गर कम हुए, पड़ती घर में झाड़ ||
पड़ती घर में झाड़,  बड़ा नाजुक है मसला |
होती कुछ बकवाद, हाथ से *मैटर फिसला ||  
दस दिन में सब खर्च, करे वो इसकी सौतन  |
मुहँ खोले फिर ठाढ़ , मांगती फिर से वेतन ||
*बहु-आयामी है यह मामला   

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