घोडा चाबै घास-तृण, अजगर लीलै जीव,
ढाई घर ये नापता, वो लागै निर्जीव |
कर उद्यम-सुविचार, जिओ चाहे कुछ थोडा,
अजगर सा पर नहीं, जिओ रे बनकर घोडा||
ढाई घर ये नापता, वो लागै निर्जीव |
वो लागै निर्जीव, सरिस सरकारी अफसर,
करता घंटा काम, खाय पर सबकुछ भरकर |
करता घंटा काम, खाय पर सबकुछ भरकर |
कर उद्यम-सुविचार, जिओ चाहे कुछ थोडा,
अजगर सा पर नहीं, जिओ रे बनकर घोडा||
कुंडली की पूंछ --
अजगर जीता सौ बरस, घोडा बाइस-बीस |
घोडा हरदम बीस है, अजगर है उन्नीस ||
क्यों न हो बीस, आखिर ज़िन्दगी रेस में घोड़ा ही तो आगे रहता है।
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